पतंजलि समूह की सहयोगी कंपनी मेसर्स दिव्या फार्मेसी ने अपने 54 उत्पादों के लिए हलाल सर्टिफिकेशन हासिल किया है ताकि मुस्लिम देशों में अपने उत्पादों की बिक्री को बढ़ाया जा सके। यह निर्णय बाबा रामदेव के नेतृत्व वाली कंपनी की वैश्विक व्यापार विस्तार रणनीति का हिस्सा बताया जा रहा है।
क्या है हलाल सर्टिफिकेट?
हलाल प्रमाणपत्र यह पुष्टि करता है कि किसी उत्पाद का निर्माण इस्लामिक मानकों और शुद्धता के उसूलों के अनुरूप हुआ है। यह सर्टिफिकेट विशेष रूप से उन देशों के लिए आवश्यक होता है जहाँ मुस्लिम जनसंख्या बड़ी संख्या में है, जैसे कि खाड़ी देश (Gulf Countries)।
विवाद की जड़:
रामदेव बाबा लंबे समय से खुद को हिंदू संस्कृति, आयुर्वेद और स्वदेशी आंदोलन का चेहरा बताते रहे हैं। ऐसे में हलाल प्रमाणपत्र लेने की खबर ने सोशल मीडिया और राजनीतिक हलकों में बहस छेड़ दी है।
कुछ लोगों का सवाल है:
“जब वोट बैंक की राजनीति में हिंदू-मुस्लिम की बात होती है, तो व्यापार में क्यों नहीं?”
“क्या हिंदू ग्राहक को यह जानने का अधिकार नहीं कि जिसे वह धर्म रक्षक मानता है, वही खाड़ी देशों में हलाल प्रमाणित सामान बेच रहा है?”
- बाबा रामदेव का पक्ष क्या हो सकता है?
- उनका उद्देश्य भारत के आयुर्वेद को वैश्विक पहचान दिलाना है।
- धार्मिक आस्था से परे, यह एक मार्केटिंग स्ट्रैटेजी हो सकती है – जहां माँग है, वहाँ व्यापार।
सवाल जो उठते हैं:
- क्या यह रणनीति हिंदुत्व की आड़ में व्यावसायिक अवसरों का दोहन है?
- क्या बाबा रामदेव का धर्म सिर्फ “मुनाफा” बनता जा रहा है?
- क्या उपभोक्ता को अब निर्माता की विचारधारा देखकर सामान चुनना चाहिए?
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