भारतीय इतिहास में 6 जुलाई की विस्तृत घटनाएँ
Detailed events of July 6 in history
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1892: दादाभाई नौरोजी: ब्रिटिश संसद में पहली भारतीय आवाज़
Dadabhai Naoroji 6 जुलाई 1892 का दिन भारतीय इतिहास में एक मील का पत्थर है, जब दादाभाई नौरोजी ब्रिटिश हाउस ऑफ कॉमन्स के लिए चुने गए। लिबरल पार्टी के टिकट पर सेंट्रल फिन्सबरी से जीतकर, वे ब्रिटेन की संसद में पहुँचने वाले पहले भारतीय और अश्वेत व्यक्ति बने। यह एक असाधारण उपलब्धि थी जिसने उन्हें ‘ग्रैंड ओल्ड मैन ऑफ इंडिया’ की उपाधि दी।
उनका चुनाव इस बात का प्रतीक था कि भारतीय अब सीधे ब्रिटिश साम्राज्य के केंद्र में अपनी आवाज उठा सकते हैं और अपने अधिकारों की माँग कर सकते हैं। संसद में, उन्होंने पूरी दृढ़ता से भारत के आर्थिक शोषण और गरीबी के मुद्दों को उठाया। उन्होंने ब्रिटिश नीतियों के कारण भारत से हो रही “धन की निकासी” के सिद्धांत को उजागर किया, जिसने भारतीय राष्ट्रवाद की नींव को मजबूत किया और भविष्य के स्वतंत्रता संग्राम के लिए प्रेरणा का काम किया।
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1901: श्यामाप्रसाद मुखर्जी का जन्म
Syama Prasad Mookerjee इस दिन भारतीय जनसंघ के संस्थापक और एक प्रखर राष्ट्रवादी विचारक श्यामाप्रसाद मुखर्जी का कलकत्ता (अब कोलकाता) में जन्म हुआ था। वे एक शिक्षाविद, बैरिस्टर और राजनेता थे। मात्र 33 वर्ष की आयु में, वे 1934 में कलकत्ता विश्वविद्यालय के सबसे कम उम्र के कुलपति (वाइस-चांसलर) बने। यह एक अभूतपूर्व उपलब्धि थी। अपने कार्यकाल के दौरान, उन्होंने विश्वविद्यालय के पाठ्यक्रम में कई सुधार किए और बंगाली भाषा को उच्च शिक्षा के माध्यम के रूप में बढ़ावा दिया।उन्होंने भारत की एकता और अखंडता की पुरजोर वकालत की। जम्मू-कश्मीर को विशेष दर्जा देने वाले अनुच्छेद 370 के वे प्रबल विरोधी थे और “एक देश में दो विधान, दो प्रधान और दो निशान नहीं चलेंगे” का नारा दिया। उनकी रहस्यमयी मृत्यु आज भी एक विवाद का विषय है, लेकिन भारतीय राजनीति और राष्ट्रवाद पर उनकी अमिट छाप है।
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1935: 14वें दलाई लामा का जन्म
DALAI-LAMA तिब्बती बौद्ध धर्म के सर्वोच्च आध्यात्मिक गुरु, 14वें दलाई लामा तेनजिन ग्यात्सो का जन्म आज ही के दिन उत्तर-पूर्वी तिब्बत के तक्तसेर गाँव में हुआ था। उनका जन्म का नाम ल्हामो थोंडुप था, लेकिन केवल दो वर्ष की आयु में उनकी पहचान 13वें दलाई लामा के पुनर्जन्म के रूप में की गई।1950 में तिब्बत पर चीनी आक्रमण और 1959 के असफल विद्रोह के बाद, उन्हें अपनी जान बचाने के लिए तिब्बत छोड़कर भारत में शरण लेने के लिए मजबूर होना पड़ा। तब से, वे हिमाचल प्रदेश के धर्मशाला में निवास करते हैं, जहाँ से वे तिब्बत की निर्वासित सरकार का नेतृत्व करते हैं।
- विश्व भर में शांति, करुणा और अहिंसा के एक अथक समर्थक के रूप में, उनका प्रभाव तिब्बती समुदाय से कहीं आगे तक फैला है। मानवता और शांति के प्रति उनकी असाधारण प्रतिबद्धता के लिए उन्हें 1989 में प्रतिष्ठित नोबेल शांति पुरस्कार से सम्मानित किया गया, जिससे वे वैश्विक मंच पर एक सम्मानित व्यक्ति बन गए।
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1944: जब नेताजी ने गांधीजी को ‘राष्ट्रपिता’ कहा
Mahatma Gandhi & Subhashchandra Boss 6 जुलाई 1944 को नेताजी सुभाष चंद्र बोस ने सिंगापुर से आजाद हिंद रेडियो पर एक प्रसारण के दौरान महात्मा गांधी को ‘राष्ट्रपिता’ के रूप में संबोधित किया। यह पहला अवसर था जब गांधीजी के लिए इस प्रतिष्ठित उपाधि का प्रयोग किया गया था।
अपने संबोधन में, बोस ने भारत की स्वतंत्रता के लिए अपने अंतिम संघर्ष, ‘पवित्र युद्ध’ के लिए गांधीजी से आशीर्वाद और शुभकामनाएं मांगीं। यह घटना वैचारिक मतभेदों के बावजूद, भारत के इन दो महान स्वतंत्रता सेनानियों के बीच आपसी सम्मान को उजागर करती है। बोस के इस संबोधन ने पूरे देश में ‘राष्ट्रपिता’ की उपाधि को लोकप्रिय बना दिया और यह भारतीय चेतना का एक अभिन्न अंग बन गया। यह क्षण भारत के स्वतंत्रता संग्राम में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर है, जो एकता और साझा लक्ष्य की भावना को दर्शाता है। यह दिखाता है कि कैसे अलग-अलग रास्तों पर चलने के बावजूद, उनका अंतिम उद्देश्य भारत की संप्रभुता सुनिश्चित करना था।
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1986: बाबू जगजीवन राम का निधन
Babu Jagjiwan Ram -
2002: धीरूभाई अंबानी का निधन
Dhirubhai Ambani - 2006: 44 साल बाद खुला नाथूला दर्रा 1962 के भारत-चीन युद्ध के बाद बंद हुआ ऐतिहासिक नाथूला दर्रा (पास) 44 वर्षों के अंतराल के बाद 6 जुलाई 2006 को व्यापार के लिए फिर से खोल दिया गया। यह दर्रा सिक्किम को तिब्बत से जोड़ता है और प्राचीन सिल्क रूट का एक हिस्सा रहा है। इसका खुलना भारत और चीन के बीच संबंधों को सामान्य बनाने और सीमा पार व्यापार को बढ़ावा देने की दिशा में एक बड़ा और प्रतीकात्मक कदम था।
विश्व इतिहास में 6 जुलाई की विस्तृत घटनाएँ
Detailed events of July 6 in history
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1785: अमेरिकी डॉलर बना आधिकारिक मुद्रा 6 जुलाई 1785 को, संयुक्त राज्य अमेरिका की कांग्रेस ने ‘डॉलर’ को देश की आधिकारिक मुद्रा के रूप में सर्वसम्मति से अपनाया। यह पहली बार था जब किसी राष्ट्र ने दशमलव प्रणाली (1 डॉलर = 100 सेंट) पर आधारित मुद्रा प्रणाली को अपनाया था। इस निर्णय ने अमेरिकी अर्थव्यवस्था की नींव रखी और आज अमेरिकी डॉलर दुनिया की सबसे प्रमुख आरक्षित मुद्रा (reserve currency) है।
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1885: लुई पाश्चर ने रेबीज के टीके का सफल परीक्षण किया
Louis Pasteur यह दिन चिकित्सा विज्ञान के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है। फ्रांसीसी जीवविज्ञानी और रसायनशास्त्री लुई पाश्चर ने 6 जुलाई 1885 को पहली बार रेबीज के टीके का एक इंसान पर सफलतापूर्वक प्रयोग किया। उन्होंने यह टीका 9 वर्षीय जोसेफ मीस्टर नामक बच्चे को लगाया था, जिसे एक रेबीज से संक्रमित कुत्ते ने बुरी तरह काट लिया था। उस समय रेबीज एक लाइलाज और जानलेवा बीमारी मानी जाती थी। पाश्चर के इस सफल प्रयोग ने लाखों लोगों की जान बचाई और टीकाकरण के क्षेत्र में एक क्रांति ला दी। इसी ऐतिहासिक दिन की याद में प्रतिवर्ष 6 जुलाई को विश्व जूनोसिस दिवस (World Zoonoses Day) मनाया जाता है, ताकि जानवरों से इंसानों में फैलने वाली बीमारियों (जूनोटिक रोग) के बारे में जागरूकता फैलाई जा सके।
- 1947: AK-47 राइफल का निर्माण शुरू विश्व की सबसे प्रतिष्ठित और घातक असॉल्ट राइफलों में से एक, अवतोमैत कलाश्निकोव-47 (AK-47), का उत्पादन सोवियत संघ में इसी दिन से शुरू हुआ। इसके डिजाइनर मिखाइल कलाश्निकोव थे। अपनी सादगी, विश्वसनीयता और किसी भी परिस्थिति में काम करने की क्षमता के कारण यह राइफल दुनिया भर में सेनाओं और अन्य समूहों की पसंदीदा बन गई। यह इतिहास में सबसे ज्यादा उत्पादित और व्यापक रूप से इस्तेमाल की जाने वाली राइफलों में से एक है।
- 1964: मलावी को मिली स्वतंत्रता दक्षिण-पूर्वी अफ्रीका का देश मलावी (उस समय न्यासालैंड) 6 जुलाई 1964 को ब्रिटिश शासन से स्वतंत्र हुआ। डॉ. हेस्टिंग्स बांदा देश के पहले प्रधानमंत्री बने और बाद में राष्ट्रपति बने। इस दिन मलावी अपना स्वतंत्रता दिवस मनाता है।
- 1975: कोमोरोस ने स्वतंत्रता की घोषणा की हिंद महासागर में स्थित द्वीपीय राष्ट्र कोमोरोस ने 6 जुलाई 1975 को फ्रांस से एकतरफा अपनी स्वतंत्रता की घोषणा की। अहमद अब्दुल्ला देश के पहले राष्ट्रपति बने। यह दिन कोमोरोस के राष्ट्रीय दिवस के रूप में मनाया जाता है।
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